आखिर क्यों नहीं बन सका आज तक रामलला की जन्मभूमि पर राम मंदिर ?
भारत के इतिहास में मुगलिया शासक बाबर ने एक ऐसा बदलाव किया जिसे आज तक न तो अपनाया जा सका और न ही बदला जा सका और वो था हिंदू भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी की जन्म भूमि पर राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद का निर्माण। हिंदू धर्मात्माओं के अनुसार जिस जगह पर बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया वहा रामलला का जन्म हुआ था और वहा रामलला का मंदिर था जिसे तुड़वाकर बाबर ने मस्जिद बनाई।
Demolition of Babri Masjid
मुद्दे को लेकर हुए हिंदू- मुस्लिम विवाद
सन 1853 में हिंदुओ के आरोप के बाद शुरू हुए हिंदुओ और मुसलमानो के बिच धर्म को लेकर दंगे। हिंदुओ का साफ़ आरोप था कि यह जमींन उनके भगवान श्री राम की है लेकिन धर्म को मध्य नज़र रखते हुए मुसलमानो के धर्मगुरुओ से मस्जिद को खाली करने के लिए कहा गया लेकिन मुसलमानो के अनुसार वह जिस जगह पर अपने मुगलिय जहापनाह बाबर के समय से प्रार्थना कर रहे हो वे वहा से कैसे अपनी धर्म मान्यताओं को बदल दे। इसी बात पर संतुष्टि प्राप्त न होने के कारण दोनों पक्षों के बीच शुरू हुए दंगे जिसका अंत में कोई परिणाम नहीं निकला।
ब्रिटिश सरकार ने बाटा भूमि को दो अलग-अलग हिस्सों में
19वी सदी में अंग्रेज़ो ने भारत में अपनी पकड़ मज़बूत बनाते हुए शासन करना शुरू कर दिया था और जब उनके समक्ष यह मामला आया तो ब्रिटिश सरकार ने तारो की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी हिस्सों को हिंदुओ और मुस्लिमो के बिच में बाटकर अलग अलग प्रार्थना करने की इज़ाज़त दे दी। अंग्रेज़ो का सीधा सिद्धांत था DIVIDE AND RULE और शायद इसी मुद्दे से उन्हें यह समझ आ गया था कि जब तक हिंदुओ मुसलमानो में आपसी मुठबेड़ रहेगी तब तक वे भारत में आसानी से राज कर सकते है और इसी बात का फायदा उठाकर अंग्रेज़ो ने भारत पर सौ से भी ज्यादा वर्षो तक राज किया ।
अदालत में पहली बार पंहुचा राम मंदिर विवाद का मामला
1885 में राम मंदिर के महंत रघुवर दस जी ने फैज़ाबाद की अदालत में मस्जिद से लगी भूमि के एक टुकड़े पर राम मंदिर के निर्माण की इज़ाज़त के लिए अपील दायर की जिसकी मंज़ूरी मिलने के बाद हिन्दुओ ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर भगवन राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद हिंदू नियमित रूप से वहाँ पूजा करने लगे और मुसलमानो ने वहाँ नमाज़ पढ़ना जारी रखा। कितना सुन्दर संदेश था की मस्जिद में विराजे हिंदुओ के भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और उनकी होती थी नियमित रूप से पूजा; और साथ ही में मुस्लमान अपने अल्लाह के दीदार में पड़ते थे नमाज़। लेकिन अंग्रेज़ो और नेताओ को यह रास न आया और छेड़ दिया उन्होंने एक हिन्दू-मुस्लिम युद्ध जिसके बाद मुसलमानो ने वहा नमाज़ पढ़ना बंद कर दिया।
कांग्रेस सरकार 60 सालों में भी न बनवा पाई राम मंदिर
20वी सदी की शुरुआत में ही भारत में अंग्रेज़ो से चल रही गुलामी से निजात पाने के लिए इतना हड़कंप मचा हुआ था की करीब पचास साल तक किसी का भी ध्यान राम जन्म भूमि और मस्जिद के स्थान पर न पड़ा लेकिन सन 1952 में आजादी के कुछ साल बाद फिरसे शुरू हुई हिंदू मुस्लिम धर्म के प्रति लड़ाई। उस वक़्त कांग्रेस सरकार भारत के शासन को संभाले हुए थी और जवाहर लाल नेहरू के हिन्दू संगठनों के प्रमुख नेता होने के कारण सबका यही मन्ना था की अब तो राम मंदिर बनकर ही रहेगा लेकिन नेताओ ने अपने वोट बैंक को मध्य नज़र रखते हुए न तो मंदिर बनने दिया और न ही मस्जिद बल्कि राम मंदिर को मुद्दा बनाते हुए सालो साल तक सत्ता में बने रहे और हिंदुओ और मुसलमानो में दंगे कराते रहे।
जनता को धर्मो के बीच फसाकर किए घोटाले
जहा कांग्रेस के साठ साल में किए घोटालो से हम रूबरू है वही इनको करने के लिए मुद्दे सामने आते है हिन्दू मुस्लिम धर्म विवाद। सत्ताधारी सरकार हमेशा आम जनता को धर्म की सौगात के जाल में फसकर देश को लुटती आयी है। लेकिन अभी भी भाजपा सरकार के रहते क्यू नही बन पाया अभी तक राम मंदिर?
2014 में भाजपा के केंद्र में सरकार बनाने के बाद हिंदुओ में फिरसे उम्मीद जगी की शायद अब तो राम मंदिर बन जाये लेकिन उसे टाल दिया गया 2017 के उत्तर प्रदेश चुनावो पर। भाजपा उत्तर प्रदेश में भी सरकार बनाने में सफल रही लेकिन क्या राम मंदिर बना ?
चुनावी मुद्दा बन चूका है राम मंदिर ?
इसका प्रमुख कारण जो सामने आता है वह है देश की जनता से वोट हासिल करना। अगर भाजपा 5 साल में ही राम मंदिर बनवा देती तो शायद अगली बार मुसलिम वोटर्स में से कोई भी भाजपा को वोट नहीं करता और 2019 के चुनावो में वापस केंद्र सरकार बनाने के लिए अब देश के प्रधानमंत्री और यू.पी. के सीएम राम मंदिर बनवाने की दुहाई देते है ताकि हिन्दू एक बार फिर इन्हे वोट दे और इसलिए हिंदुओ को प्रभावित करने के लिए योगी आदित्यनाथ शहरो के नाम बदल बदल के हिन्दुओ को दिखा रहे है कि है यह सच में हिंदूवादी सरकार है लेकिन जो सरकार केंद्र और राज्य में पूर्ण समर्थन होने के बाद भी राम मंदिर न बनवा पाई वह कहती है हमे 2019 में वोट दो हम राम मंदिर बनवाएंगे।
कोई सरकार इच्छुक नहीं है राम मंदिर बनवाने के सबको सिर्फ वोट चाहिए
जहा साठ साल राज करने के बाद कांग्रेस कहती है हमे वोट दो हम राम मंदिर बनवाएगे वही केंद्र और राज्य में पूर्ण समर्थन होने के बाबजूद भाजपा कहती है हमे वोट दो हम मंदिर बनवाएगे जिससे यह तो साफ समझ अाता है कि मंदिर कोई नहीं बनवाएगा लेकिन यह सिर्फ मंदिर की दुहाई देकर अपनी सरकारे बनाएँगे।
इसलिए न मस्जिद गलत न मंदिर, ये तो नेता है जो आम जनता को पागल बनाते है
वोटो के लालच में , ये हिंदुओ और मुस्लिमो को लड़वाते है।
BY -YASH GARG