जियो रे गांधीगिरी
यह मेरा देश है यह तेरा देश है यह केवल संकीण मानसिकता वाले लोगों की सोच है वरना उदार आत्माओं के लिए तो पूरी दुनिया ही एक परिवार है।
यह अद्भुत पंक्ति हमारे माननीय मोहनदास करमचंद गांधी जी ने कही थी। महात्मा गांधी जिन का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1859 को पोरबंदर में हुआ था और उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में हुई थी। वह एक भारतीय वकील, नेता, समाज सुधारक और लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज उठा के भारत को आजाद करवाया।
इनको हमारे देश का राष्ट्रिय पिता कहा जाता है। करोड़ों भारतीयों की नजर में गांधीजी एक महान आत्मा की तरह है। लाखों लोग एकजुट होकर उनका इंतजार करते थे जब भी वह कहीं जाया करते थे। इनको पूरी दुनिया जानती थी लेकिन इनके मृत्यु के बाद इन को जानने वालों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई।
गांधीजी का प्रारभिक जीवन
गांधी जी अपने पिता के सबसे छोटे बेटे थे और उनके पिता एक नेता थे पोरबंदर में। गांधी जी जहां पर पैदा हुए थे वहां पर पढ़ाई लिखाई बहुत ही खराब थी और वे पढ़ाई में बहुत अव्वल थे जिसकी वजह से उनको काफी पुरस्कार मिले। इनकी शादी 13 साल की उम्र में ही करा दी गई थी जिसकी वजह से इनका 1 साल स्कूल का खत्म हो गया। इन्होंने लंदन जाकर भी पढ़ाई की थी।
गांधी जी का योगदान
गांधीजी की लोगों में बहुत ही इज्जत थी और लोग उनको बहुत मानते थे। इन्होंने आजादी के लिए कई लड़ाइयां लड़ी और कई योगदान भी दिए। आइए जानते है उनके कुछ प्रमुख योगदानों को –
नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट
गांधी जी की एक ही सोच थी कि अहिंसा के साथ वे भारत को आजाद कराना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट चालू किया। इनमें उन्होंने लोगों से कहा कि वह सारे अंग्रेजों की चीजों को नाले और सिर्फ अपने देश का ही सामान इस्तेमाल करें लेकिन यह मूवमेंट फेल हो गया।
सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट
इसके बाद गांधी जी ने हार नहीं मानी वे सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लेकर आए जो कि पिछले वाले से और भी ज्यादा ताकतवर था। गांधी जी ने लोगों से कहा कि वह अंग्रेज सरकार की कोई भी बात ना माने और जो भी इनकम टैक्स भारतीयों से ले रहे थे उनको ना दे।
क्विट इंडिया मूवमेंट
अगस्त 1942 को गांधीजी ने क्विट इंडिया मूवमेंट लॉन्च किया। इस मूवमेंट का मुख्य उद्देश्य यह था कि वे चाहते थे कि अंग्रेज के बड़े लोग आए और उनसे समझौता करें। इस मूवमेंट की वजह से काफी सारे लोग जेल के अंदर चले गए और गांधी जी ने इसके विरुद्ध 21 दिन तक अनशन किया। इस अनशन की वजह से अंग्रेजों को उन लोगों को जेल से छोड़ना ही पढ़ा।
क्विट इंडिया मूवमेंट के बाद आजादी की लड़ाई और ज्यादा ताकतवर हो गई थी। पूरा भारत एकजुट होकर बस आजारी लेना चाहता था। सब लोगों ने जितना हो सके सब कुछ किया और पूरी आजादी की मांग की बहुत से परिश्रम के बाद भारत को आखिर 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली गई।
गांधीजी ने भारत वासियों के लिए कई बार सत्याग्रह भी की है।
सबसे पहले उन्होंने चंपारण में सत्याग्रह की। चंपारण में किसानों को जबरदस्ती जमीन में इंडिगो उगाना पड़ता था और ऐसा करने के लिए उनको अंग्रेजों ने हुकुम दिया था जिसकी वजह से किसानों को बहुत नुकसान हो रहा था क्योंकि इंडिगो उगाना कोई आसान बात नहीं। इसी चीज को किसानों से मुक्त कराने के लिए गांधीजी ने सत्याग्रह किया।
गांधी जी की मृत्यु
महात्मा गांधी जी को गोली मारी गई थी और वह उसके 15 मिनट के बाद ही चल बसे। जैसे ही वह प्रार्थना करने के लिए उद्यान में आगे बढ़ रहे थे एक 35 वर्ष का जवान आदमी उनके सामने आया उनको नमस्कार करने के बहाने नीचे झुका और कहा कि आज आप देरी से प्रार्थना करने आए हैं ,और जैसे ही गांधी जी ने इसका उत्तर दिया कि हां , तभी उसने अपनी बंदूक निकाली और उनको मार दिया। महात्मा गांधी जी को मारने वाले शख्स का नाम नाथूराम विनायक गोडसे था जो कि एक 35 वर्षीय नौजवान था। ऐसा भी कहा गया था कि वह किसी समाचार पत्रिका के लिए काम करता था। जैसे ही उसने महात्मा गांधी जी पर गोली चलाई लोगों मैं क्रोध आ गया और उसकी बुरी तरह पिटाई की जिसकी वजह से वह बहुत घायल हुआ।
बाबू भोले भाले थे,
हम सबके रखवाले थे।
हमें आजादी दिलवा कर
स्वयं कष्ट सह जाते थे।
हम भी अच्छा काम करेंगे
खूब पढ़ेंगे खूब लिखेंगे
बापू जैसा नाम करेंगे।
– सिद्धार्थ विक्रम